सरीन राज ......
जशपुर
खूबसूरत फूलों के पेड़ का सौंदर्य
" जिधर से गुज़रिये जशपुर की सड़कों में फूल ही फूल आपके कदमों में बिछे दिखाई देंगे........ आप भी आइये देखिये गुज़रिये जैसी अनुभूति आपको होगी निश्चित ही वह एक अकल्पनीय एवं सुखद ही होगी।
मौसम कोई भी हो जशपुर हमेशा ही आपका स्वागत मुस्कुराकर खिलखिलाकर ही करेगा .....
ये जशपुर की भूमि हैं संस्कारो की जननी है संभावनाओं की उपजाऊ भूमि है प्राकृतिक रूप से परिपूर्ण है इस भूमि में जैसा आवरण ईश्वर ने पहनाया है वह अद्भुत और आकर्षक है। यह हर किसी को चाहे अनचाहे ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है ।
कुछ फोटो आपके साथ मैं शेयर कर रहा हूँ जो जशपुर को फ़ोटो के माध्यम से नई पहचान देने की कोशिश करते हैं वो हैं राजू गुप्ता जी और आकाश सोनी जी ,दोनों ने जशपुर के सुंदर फोटोग्राफ ले कर इस धरती की सुंदरता को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है ।
जशपुर की सड़कों में बिछे फूलों से मुझे माखनलाल चतुर्वेदी की एक कविता याद आ रही है
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक
- माखनलाल चतुर्वेदी जी ने भले ही इसे दूसरे अर्थों में लिया है परंतु जशपुर के लोगों पर प्रकृति इतनी महान है की खुद ही उनके राहों पर बिछ जा रही है क्योंकि प्रकृति से कुछ छिपी नहीं है वो ये जानती भी है कि ये वीरों की शहीदों की भूमि है इसलिये खुद ही इन फूलों को राहों पर बिछा देती है यह समझने में लोगों को भले ही वक्त लगे पर प्रकृति को नहीं । ना फूलों को राहों में फेंकने की आवश्यकता है बस प्रकृति के इशारे को समझने की आवश्यकता है शायद इस का लोग खुद अनुभव करेंगे।
गुलमोहर
गुलमोहर फूल वाले वृक्षों में सबसे अधिक भड़कीला वृक्ष है। इसका दूसरा नाम 'वन की ज्वाला' है। इसके फूलों से लोग पीला रंग बनाते हैं, जिसे वे होली में आम तौर से इस्तेमाल करते हैं।" मुझे वनस्पति-विज्ञान का मुझे कुछ अनुभव नहीँ है बस घुमते घुमते इस नीरस से जीवन में इन्हीं वनस्पतियों ने ऊर्जा भर दी। इस ऊर्जा ने चिंगारी का काम किया और मेरी कल्पना और लेखनी में लौ लगायी । सुंदर फूल वाले वृक्षों के प्रति मेरे प्रेम की ज्योति जगायी। फिलहाल आपको बता दूं कि सुर्ख गुलमोहर ने अपना रूप अभी नहीं लिया है जबकि अप्रेल का यह पहला सप्ताह है ।
पलाश का सुर्ख दमकता फूल
पलाश का पेड़, फूल वाले वृक्षों में सबसे अधिक भड़कीला वृक्ष है। इसका दूसरा नाम 'वन की ज्वाला' है। इसके फूलों से लोग पीला रंग बनाते हैं, जिसे वे होली में आम तौर से इस्तेमाल करते हैं।" जब मैं बाहर दौरे पर जाता था, तब मुझे पलाश के पेड़ों का सुर्ख रंग हमेशा से खींचता है मुझे पलाश के जंगलों में घूमने बड़ा चाव है पर जंगल तो यहाँ नहीँ किसी किसी जगह में कुछ संख्या में पेड़ हैं जिसे देखकर लगता है कि कभी यहाँ पलाश के जंगल निश्चित ही रहे होंगे अभी सैकड़ो की संख्या में जशपर से 60 km दूर तपकरा मार्ग में हल्दीमुण्डा मार्ग में हैं जो आपको मार्च के दूसरे हप्ते में अपना जलवा दिखा सकते हैं अभी इसकी फोटोग्राफी के लिए मार्च के आखिरी सप्ताह में हम वहां जाकर अपने आंखों को सन्तुष्टि पहुंचाई है । जब हम स्पॉट पर पहुंचे सुर्ख लाल रंग के पलाश की खुबसूरती देखते ही बन रही थीव। मार्च के महीने में पलाश के फूलों से लदे वृक्ष दूर से अंगारों की लपटों के समान दिखायी देते हैं।
सुनहले खेतों के पीछे इन वृक्षों का दृश्य अति मनोरम प्रतीत होता है। पत्तियों रहित शाखाओं में हुए पलाश के फूल जलती मशालें मालूम होते हैं। उस दृश्य को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। जब भी मौका मिला घूमने का , मैं घंटो समय इन फूलों की शोभा देखने में बिताता हूँ।
नीला गुलमोहर
जशपुर में नीले गुलमोहर के गहरे नीले और बड़े सावनी रंग के बैंगनी और जामुनी रंगों के पेड़ों की झलक अघोरेश्वर आश्रम जशपुर हाऊसिंग बोर्ड ,आराम निवास पैलेस सिटी कोतवाली के पास देखी जा सकती है इसके अलावा भी कई स्थान पर आप नीले गुलमोहर की खूबसूरती का मजा ले सकते हैं। मैं हर साल इन फूलों को देखता हूँ पर इसबार मैं इनके सुंदरता पर मुग्ध होकर इन सुंदर सुंदर फूलों के प्रेम में फँस गयाहूँ । चाहे वह नीला या लाल नारंगी गुलमोहर हो या मनमोहक पीले फूल वाले अमलतास हो । गजब का आकर्षण इन पेड़ों के फूलों में है
फूल वाले वृक्षों की शोभा के प्रति अपने देश के लोगों की उदासीनता है। मालूम नहीं उन्होंने अपने पलाश, कचनार और सेमल के अनुपम सौंदर्य को कैसे भुला दिया। फल और इमारती लकड़ी के लिए बहुत-से लोग वृक्ष लगाते हैं, लेकिन शोभाकर फूल वाले वृक्ष लगाने की चिन्ता करने वालों की संख्या बहुत कम है। फलों के वृक्षों की देखभाल तो अपने-आप हो जाती है, इसलिए मैंने यह अनुभव किया कि जहाँ सुंदर फूलों के वृक्ष लगाने की जरूरत है, वहाँ उन्हीं को लगाने पर अधिक से अधिक बल देना चाहिए। इस समय राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों और नहरों के किनारों पर लगाये जाने वाले वृक्षों में शोभाकर वृक्षों के लिए कोई स्थान है। लेकिन इसे घरों, पार्कों और सरकारी इमारतों के अहातों में और नगरों की सड़कों के किनारे उन्हें उचित स्थान तो मिलना चाहिए।
शोभाकर वृक्षों की अवश्यकता
आजकल हमारे देशवासियों में सौंदर्य-भावना की बड़ी कमी है। इसलिए जरूरत है शोभाकर वृक्षों को लगाने और प्रचार प्रसार करने की है यदि प्रचार में कुछ अतिशयोक्ति से काम लेना पड़े तो वह भी क्षंतव्य है। अशोक के समय में और गुप्त काल में हमारे पूर्वजों की सौंदर्य-भावना बहुत ही उत्कृष्ट थी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि उनकी संतानों में उस भावना की बड़ी कमी है।
मैंने विचारा कि यदि घरों और नगरों के सार्वजनिक स्थानों में शोभाकर वृक्ष लगाये जाएँ तो वे इस दुःखद अभाव को मिटाने में समर्थ होंगे ,उसका परिणाम भी अच्छा होगा। अपने को सुसंस्कृत समझने वाले, विशेषकर पढ़े-लिखे लोगों की रूचि बहुत कुछ सुधर जाएगी। मैंने निश्चय किया कि जो लोग हठपूर्वक आँखें मूँद कर देखना भी नहीं चाहते, उन्हें इन वृक्षों के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा कर दिखाना चाहिए। रंगीन फूलों के वृक्षों को सड़कों गलियों स्कूलों घरों और नगरों की सड़कों के किनारे कतारों में लगाकर, लोगों को इनकी सुंदरता का प्रदर्शन कराना चाहिए। अपने-अपने बगीचों में ऐसे वृक्ष लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। हमें तो उनके घरों तक इस सौंदर्य को पहुँचाना है। मैंने जिले की अदालतों, तहसीलों, स्कूलों और सड़कों पर बने हुए सुसम्पन्न व्यक्तियों के बँगलों के अहातों में इन शोभाकर वृक्षों को देखा है । वृक्ष प्रकृति-सौंदर्य के प्रेम का मेरा संदेश कम से कम आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाएँगे। लोगों को ऐसे वृक्ष लगाने चाहिए जो हर महीने रंग-रंग के फूल देते रहें।
आइये ये जशपुर आपका फूलों से स्वागत करेगा आप इनकी खुशबू से मदहोश हो जायेंगे
आइये जशपुर......
Beautiful photographs
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