ये जन्नत के नजारे हैं जनाब,अगर आपके नसीब नहीँ तो इसके लिए मन्नत मांगिये! कि ये मौसम ये नजारे फिर से बारिश में लौट कर आएं
सरीन राज
यूँ ही हमारा जशपुर मशहूर नहीँ है! खुदा की रहमत है, कि कुदरत को दिलकश नजारे दिये है और ये नजारे हैं कि नजर से उतरते नहीँ हैं ।
वाकई !दिलखुश अंदाज है ,हर मौसम का जुदा अंदाज ,कभी धरती पर फूलों की सतरंगी चादर, कभी पहाडों पर सफ़ेदी की चादर ,कभी हरीतिमा का आवरण ,कभी नीले आसमान पर बादलों का हुजूम ,अद्भुत अविस्मरणीय, अप्रतिम सौंदर्य की धरती और आसमान है ।
ये ख्वाब है, खुश्बू है, कि झोंका है, कि पल है...
ये धूँध है, बादल है, कि साया है, कि तुम हो..।
ये बारिश का मौसम है, आसमान में बादल उमड़ घुमड़ रहे हैं ,बिजलियाँ चमक रही हैं ,ठंडी हवा बह रही है,रोज की तरह आसमान में परिंदों की परवाज है।
हल्की हल्की बारिश का खुमार है ,कभी मन भींगने को करता है ,कभी खुद को बारिश से बचाने को मन करता है पर जैसा दिल कहे वो सुनना पड़ता है और दिल कहता है ,ऐसी वादियों में अगर तू घुमे ना ,कुदरत का नजारा देखे ना ,तो ये कुदरत की तौहीन होगी।
ये कुदरत का ही करिश्मा है कि आसमान के बादल #जशपुर की सरजमीं पर उतर कर इन हरीभरी वादियों को हसीन और नजारों को दिलकश बना दिया है । मशहूर शायर #साहिर लुधियानवी जी की चन्द पंक्तियों के साथ उनको श्रद्धांजलि
"संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
इक #धुँध से आना है इक #धुँध में जाना है
ये राह कहाँ से है, ये राह कहाँ तक है
ये राज़ कोई राही समझा है न जाना है
हम लोग खिलौना हैं इक ऐसे खिलाड़ी का
जिस को अभी सदियों तक ये खेल रचाना है
इक धुँध से आना है इक धुँध में जाना है
अब मैं भी आपको उस हसीन नजारों की ओर ले चलूँ जिसे मैंने दिलोँ दिमाग मे जीवन भर कैद कर लिया है कुछ तस्वीरें आपसे साझा कर रहा हूँ निश्चित रूप से आप तवज्जो देंगे। मेरे घर से सारुडीह का पहाड़ स्पष्ट नजर आता है ।
पिछले मंगलवार जब मैं घर से निकला तो देखा तो पहाड़ पर बादल उतर आए हैं मैने तुरन्त आकाश सोनी जी फोटोग्राफर @akash clik को कॉल किया चलो थोड़ा किनकेल घूम आते है गाड़ी में हम निकल पड़े और सारुडीह होकर जब अटापाठ की ओर निकलते ही दिल बाग बाग हो गया ।
क्या अद्भुत दृश्य पाठ की सड़क पर बादलो ने डेरा जमा रखा था पूरा पाठ क्षेत्र सफेद बादल से ढका हुआ ।हमारे लिये तो अकल्पनीय था।मैंने ये नजारे 8 साल पहले देखा था ।
हमने भी बादलों के साथ चलते हुए उसका मजा लेते हुए एक दोस्त की तरह अपना ये सफर जारी रखा और पहुँच गए 20 km दूर देशदेखा। देशदेखा के बारे में आप सभी जानते हैं कि आपके पर्यटन के लिए कितना शानदार शान्ति प्रिय ,मनोरम स्थल है।
लेकिन उस रोज जो हमने देशदेखा की चट्टानों पर बैठ कर देखा की हमें बादलों के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है बादलों का स्पर्श और चेहरे पर गिरती बारिश की रिमझिम फुहारें रोमांचित कर रही थी और एक अकल्पनीय सुखद अहसास दे रहीं थी
मन मष्तिस्क व्याकुल हो रहा था कुछ घण्टे इसका आनंद ले कर हम वापस लौट गए । आप तक जब मेरा ये ब्लॉग पहुंचेगा शायद ही आप ये देख पाएंगे पर वो अहसास आपको मेरे शब्द और फ़ोटो निश्चित रूप से कराएंगे ऐसा मेरा विश्वास है।
एक बात आपको जरूर कहूँगा कि "जन्नत से कम नहीँ है जशपुर पर ये #जन्नत आपको #मन्नत से ही मिलेगा"
ब्लॉग पढ़ने के लिये आपका शुक्रिया और आशा करता हूँ कि जशपुर के #पर्यटन को एक नई दिशा देने में आप मेरा जरूर उत्साहवर्धन करेंगे ।
ये धुंध सा समां और बारिश की सरगोशियाँ,
दिल जो अगर चटका, किसे शोर सुनाई देगा।
सहयोग:- आकाश सोनी, हीना परवीन
मार्गदर्शन: श्रुति सिंह
सादर धन्यवाद
आपका अपना
सरीन राज
बसंत विहार जशपुर
7987721739
Sareenraj09@gmail.com

