Saturday 6 April 2019

Beautiful Jashpur

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Wednesday 8 August 2018

आखिर बहा क्या है

आखिर बहा क्या है

बारिश का मौसम है ऊपर से सावन रिमझिम फुहारें ऐसे मौसम में जाने क्या बह जाय ?  कुछ लोगों के आँखों का पानी  कुछ लोगों का ज़मीर
बह जाय तो आश्चर्य क्या ?
बहा कुछ भी नहीं है अफवाह ये की समंदर बह गया नजरें बंद हो गई कैमरे ने देख लिया जुबान भी बह गई नफा किसका और नुकसान किसका अपने अपने  हिसाब से तय कर रहे हैं कि किसका जमीर कितना बहा कितना सच बह रहा है कितना झूठ बह रहा है
तुम फिर जाओ देखो वास्तव में बहा क्या है कहीँ सम्बन्ध तो नहीँ बह रहे कहीँ भावनाएँ तो नहीँ बह रहे हैं कहीँ दिल के अरमान तो नहीँ बह रहे हैं । 
जरा गौर से देखो टूटा क्या है जो दिखता है वो बताओ मुझे कि आखिर टूटा क्या है बहा क्या है  मेरा तो बस दिल ही टूटा है जो आपके कैमरे में शायद ही कैद हो ? पर टूटा तो है वो जुड़ेगा पर जो बह गया है ना वो वापस नहीँ आएगा तुम लाख कोशिश कर लो कभी लौटने वाला नहीँ । जाने इस बारिश में कितनों का क्या क्या बहा मेरा भी बह गया अब सत्य है कि जाल कौन बिछाएगा कौन गोताखोर छलाँग लगाएगा जिसको ये पता हो कि मेरा बहा क्या है और पता भी नहीं कैसे चलेगा क्योंकि तुम्हें खुद की नजर से दिखता ही नहीँ तुम तो उसकी नजर से देखते हो जो अंधा है । सावन के अंधे को वैसे भी हरा हरा ही दिखता है । गौर से देखो तुमको ये देखना भी जरूरी है कि सावन में आखिर दिखता कैसे है ।
अच्छा मिलते हैं फिर सावन के बाद.............

कृपया अन्यथा ना लें

                            आपका अपना
                           एक सावन का अंधा

Thursday 19 July 2018

आपके नसीब में मन्नत के बिना कहाँ ,ये जन्नत के नजारे !

ये जन्नत के नजारे हैं जनाब,अगर आपके नसीब नहीँ तो इसके लिए मन्नत मांगिये! कि ये मौसम ये नजारे फिर से बारिश में लौट कर आएं

सरीन राज
              यूँ ही हमारा जशपुर मशहूर नहीँ है! खुदा की रहमत है, कि कुदरत को दिलकश नजारे दिये है और ये नजारे हैं कि नजर से उतरते नहीँ हैं ।

                   वाकई !दिलखुश अंदाज है ,हर मौसम का जुदा अंदाज ,कभी धरती पर फूलों की सतरंगी चादर, कभी पहाडों पर सफ़ेदी की चादर ,कभी हरीतिमा का आवरण ,कभी नीले आसमान पर बादलों का हुजूम ,अद्भुत अविस्मरणीय, अप्रतिम सौंदर्य की धरती और आसमान है ।

ये ख्वाब है, खुश्बू है, कि झोंका है, कि पल है...
ये धूँध है, बादल है, कि साया है, कि तुम हो..।

                ये बारिश का मौसम है, आसमान में बादल उमड़ घुमड़ रहे हैं ,बिजलियाँ चमक रही हैं ,ठंडी हवा बह रही है,रोज की तरह आसमान में परिंदों की परवाज है।

                  हल्की हल्की बारिश का खुमार है ,कभी मन भींगने को करता है ,कभी खुद को बारिश से बचाने को मन करता है पर जैसा दिल कहे वो सुनना पड़ता है और दिल कहता है ,ऐसी वादियों में अगर तू घुमे ना ,कुदरत का नजारा देखे ना ,तो ये कुदरत की तौहीन होगी।
               ये कुदरत का ही करिश्मा है कि आसमान के बादल #जशपुर की सरजमीं पर उतर कर इन हरीभरी वादियों को हसीन और नजारों को दिलकश बना दिया है । मशहूर शायर #साहिर लुधियानवी जी की चन्द पंक्तियों के साथ उनको श्रद्धांजलि
"संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
इक #धुँध से आना है इक #धुँध में जाना है
ये राह कहाँ से है, ये राह कहाँ तक है
ये राज़ कोई राही समझा है न जाना है
हम लोग खिलौना हैं इक ऐसे खिलाड़ी का
जिस को अभी सदियों तक ये खेल रचाना है
इक धुँध से आना है इक धुँध में जाना है
                    अब मैं भी आपको उस हसीन नजारों की ओर ले चलूँ जिसे मैंने दिलोँ दिमाग मे जीवन भर कैद कर लिया है कुछ तस्वीरें आपसे साझा कर रहा हूँ निश्चित रूप से आप तवज्जो देंगे। मेरे घर से सारुडीह का पहाड़ स्पष्ट नजर आता है ।
पिछले मंगलवार जब मैं घर से निकला तो देखा तो पहाड़ पर बादल उतर आए हैं मैने तुरन्त आकाश सोनी जी फोटोग्राफर @akash clik को कॉल किया चलो थोड़ा किनकेल घूम आते है गाड़ी में हम निकल पड़े और सारुडीह होकर जब अटापाठ की ओर निकलते ही दिल बाग बाग हो गया ।
         क्या अद्भुत दृश्य पाठ की सड़क पर बादलो ने डेरा जमा रखा था पूरा पाठ क्षेत्र सफेद बादल से ढका हुआ ।हमारे लिये तो अकल्पनीय था।मैंने ये नजारे 8 साल पहले देखा था ।
            हमने भी बादलों के साथ चलते हुए उसका मजा लेते हुए एक दोस्त की तरह अपना ये सफर जारी रखा और पहुँच गए 20 km दूर देशदेखा। देशदेखा के बारे में आप सभी जानते हैं कि आपके पर्यटन के लिए कितना शानदार शान्ति प्रिय ,मनोरम स्थल है।
लेकिन उस रोज जो हमने देशदेखा की चट्टानों पर बैठ कर देखा की हमें बादलों के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है बादलों का स्पर्श और चेहरे पर गिरती बारिश की रिमझिम  फुहारें रोमांचित कर रही थी और एक अकल्पनीय सुखद अहसास दे रहीं थी
मन मष्तिस्क व्याकुल हो रहा था कुछ घण्टे इसका आनंद ले कर हम वापस लौट गए । आप तक जब मेरा ये ब्लॉग पहुंचेगा शायद ही आप ये देख पाएंगे पर वो अहसास आपको मेरे शब्द और फ़ोटो निश्चित रूप से कराएंगे ऐसा मेरा विश्वास है।
एक बात आपको जरूर कहूँगा कि "जन्नत से कम नहीँ है जशपुर पर ये #जन्नत आपको #मन्नत से ही मिलेगा" 
      ब्लॉग पढ़ने के लिये आपका शुक्रिया और आशा करता हूँ कि जशपुर के #पर्यटन को एक नई दिशा देने में आप मेरा जरूर उत्साहवर्धन करेंगे ।

ये  धुंध  सा  समां और बारिश की सरगोशियाँ,
दिल जो अगर चटका, किसे शोर सुनाई देगा।
सहयोग:- आकाश सोनी, हीना परवीन
मार्गदर्शन: श्रुति सिंह

सादर धन्यवाद

आपका अपना
सरीन राज
बसंत विहार जशपुर
7987721739
Sareenraj09@gmail.com

Thursday 12 July 2018

दमेरा की नैसर्गिक खूबसूरती

सरीन राज जशपुर
        वैसे तो हमेशा ही दमेरा जाना है क्योंकि सबसे पास का पिकनिक स्पॉट है । जब भी आप दमेरा जाएंगे हर बार आपको अलग ही अनुभूति होती है ।
                  मनोरम और नयनाभिराम दृश्य ,अद्भुत शांति , की यह जगह है दमेरा जब भी मायूसी होती है दिल उदास होता है मैं घण्टों जा कर प्रकृति की शरण मे जाता हूँ फिर एक शांत शून्य मन के साथ वापस लौट आता हूँ । 
              जुलाई का दूसरा पखवाड़ा चल रहा है बारिश भी सीमित हुई है ।पहाड़ी नदी नालों में अभी पानी उफान में नहीं है । दमेरा में पानी की कलकल बहती आवाज ,जगह जगह पर छोटे छोटे बनते झरने ठंडी ठंडी हवाएँ ऊंचे ऊंचे पहाड़ गहरी खाई इन दृश्यों ने सदैव मेरे मन को मोहा है और ऐसी शांत फिजा में मन को तृप्त कर देती है। 
               आज मन थोड़ा व्यथित है और आज मैं फिर इसी जगह पे हूँ इस एकांत में शांति की तलाश खत्म हुई प्रकृति के पास भी हर मर्ज का दवा है यदि आपको ऐसी जगहें  पसन्द हैं तो जरूर आइये दमेरा।

दमेरा जलप्रपात छत्तीसगढ़ राज्य में जशपुर ज़िले से आठ कि.मी. की दूरी पर श्रीनाला पर स्थित है।

MRT
नैसर्गिक खूबसूरती वाले इस जलप्रपात को निहारने का सबसे अच्छा समय जुलाई से दिसंबर तक है। जुलाई 2018 में हुई अल्प बारिश में इसकी सुंदरता देखते बनती है 


आप कभी भी जशपुर आयें तो समय निकाल कर इसकी खूबसूरती का मजा लीजिये पधारिये दमेरा।

सहयोग: -आकाश सोनी, अंकित गुप्ता, 

प्रस्तुति:-
सरीन राज जशपुर
मोबाइल न.7987721739
Sareenraj09@gmail.com

Saturday 7 April 2018

बुलंद हो हौंसला तो मुठी में हर मुकाम है....

      तू शाहीं है...........

        कलेक्टर के रूप में डॉ प्रियंका शुक्ला का दो साल का कार्यकाल बेहद शानदार रहा है । वे जिले के 15 वीं कलेक्टर हैं जो लोंगो में जनप्रिय रहीं हैं जिन्होनें 8 अप्रेल 2016 को #जशपुर का कार्यभार सम्हाला।सहज सरल सहृदय, मिलनसार और कर्मठ #डॉ प्रियंका शुक्ला का काम बोलता है।  काम करते हुऐ उन्होंने हर क्षेत्र में उपलब्धियां जशपुर के जिले के लिए हासिल कर जशपुर को गौरान्वित किया है । 

सरीन राज, जशपुर:-

                  ~ शिखर पर बैठने वाला अगर उतनी ऊंचे से नीचे देखे तो हर कोई छोटा और बौना दिखाई देता है   पर उसी  शिखर पर बैठा व्यक्ति खुद ही नीचे उतर कर आपको शिखर का अहसास कराए तो वो एक इंसान ही होगा जिसे इस बात का गुमान ना हो कि वह शिखर का है। 
                          ऐसे ही व्यक्तित्व की धनी हैं जशपुर की कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला जिन्होंने कभी भी किसी को एहसास ही होने नहीं दिया की वो आईएएस हैं। कर्म ही पूजा है  इस वाक्य को जीवंत करते हुए उन्होंने जिले के बेहतरी के लिए अपना तन-मन-धन लगा दिया ।

                     आम लोगों में अपनी एक ऐसी छवि बनाई की लोग उन्हें लंबे समय तक याद रखेंगे। आज दो साल की अवधि उन्होंने जशपुर को समर्पित की है और इस दो साल में जशपुर उपलब्धियों भरा रहा है। निर्विवाद रूप से उन्होंने जशपुर का अपना कार्यकाल बिताया जिसमें बच्चों बहनों और महिलाओं के बीच मे वे एक मददगार कलेक्टर बहन ,सुरक्षा देने वाली बहन, ममतामयी बहन और रास्ता दिखाने वाली बहन के रूप में जानी जा रही है । बाकी सभी लोग भी उनके शीरीं जुबान के कायल हैं, लोगो के इसी प्यार ने उन्हें ऊर्जा से भर दिया फिर उन्होंने जो भी काम किया उसका परिणाम आप सभी के सामने है ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जिसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली हो। 
जैसे इरामी साहब ने ये शेर जशपुर की वर्तमान कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला जी के लिए ही लिखा गया हो

""ख़्वाबों का एक कारवां........ चाहिये
मैं शाहीं .......हूँ, बस मुझे आसमाँ ..... चाहिये"

सार्थक सोच और सकारात्मक कार्य के साथ जशपुर को बुलंदियों तक पहुँचा दिया है। जब 8 अप्रेल 2016 को एक कलेक्टर के रूप में इन्होंने कार्यभार सम्हाला तो जशपुर के लोंगो ने जरूर सोचा होगा कि एक महिला के रूप में डॉ प्रियंका शुक्ला कितना दर्द जिला का समझ पाएंगी परंतु उन्होंने जितना करीब से जशपुर जिले का सही नब्ज पकड़ कर इलाज करते हुए बहुत सी  बीमारी जिले की ठीक कर दी और सबको अपना फैन बना लिया है। अलम्मा इक़बाल साहब की ये शेर है हर दिल अजीज कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला जी पर खूब बैठती हैं........

""सितारों से आगे जहां और भी है
अभी जिंदगी के इम्तहाँ और भी हैं
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तिरे आगे आसमाँ और भी है।""

                जिला प्रशासन के  मुखिया के रूप में डॉ प्रियंका शुक्ला के कुशल नेतृत्व में दो साल में जशपुर जिला को कई उपलब्धियाँ हासिल हुई जशपुर ने अपना एक नया मुकाम बनाया है चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो शिक्षा, स्वास्थ ,कृषि कौशल विकास आदि आदि। उन्होंने जिस चीज को अपने प्राथमिकता में रखा उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लिया । 
प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह स्वंय महिला कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला की तारीफ़ करते थकते नहीं है, जब प्रदेश का मुखिया किसी की तारीफ करे, तो यह छोटी मोटी बात नहीं जरूर उनका प्रदर्शन राज्य के अन्य लोगों से श्रेष्ठ रहा है  । एक महिला होकर उन्होंने जशपुर जिले के समेकित विकास को ध्यान रखकर जिले को अपना भरपूर समय प्रदान किया । एक महिला जो कर्म को ही पूजा मानतीं है और प्रतिदिन 17- 18 घण्टा समय काम करके जिले को समर्पित करती हो उन्हें हम देवी तुल्य भी मान सकते हैं । उनका सीधा सरल व्यक्तित्व लोगों से सीधा जोड़ दिया । लोगों ने कभी भी ये महसूस नहीं किया की ये एक कलेक्टर हैं जशपुर के निवासियों ने प्रियंका शुक्ला जी कलेक्टर के रूप में कम माना है उन्हें एक जशपुर के अभिभावक एक मददगार बहन और  बच्चों के लिए एक ममतामयी माँ के रुप में देखा है । उन्होंने कभी ये प्रदर्शित नहीं किया कि वो एक कलेक्टर हैं । आमतौर पर एक कलेक्टर के प्रति लोगों की धारणा विपरीत होती है परंतु उन्होंने इस धारणा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया और फ़िर उन्हें ये कहना पड़ा कि
""है वह मुझसे भी ज़्यादा क़ाबिल उसमें ये सिफ़त देखी है
हाँ, औरतों में भी मैंने परवाज़ की सिफ़त देखी है "
           एक महिला होकर जो उन्होंने जो किया वो एक उदाहरण ही होगा जब भी कलेक्टरों को याद किया जाएगा तो डॉ प्रियंका शुक्ला जरूर लोगों के जेहन में उतरेंगी ,क्योंकि उन्होंने जो काम किया है वह अस्मरणीय है।
                  समय अपनी गति से चलता है जिसमें मनुष्य एक कठपुतली मात्र है समय को कोई भी अपने वश में नहीं कर सकता है परंतु समय की चाल ग्रह नक्षत्रों की दशा देखकर वास्तु के अनुरूप कार्य को सकारात्मक ऊर्जा के साथ किया जाय तो उसके सार्थक परिणाम ही आते हैं । यही काम डॉ प्रियंका शुक्ला जी ने किया है जिसकी बदौलत आज इनके दो वर्ष के कार्यकाल में हर बार मुख्यमंत्री जी ने तारीफ की है ।इन दो साल में जशपुर को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है मैं आगे आपको जरूर बताऊंगा की जशपुर में किन किन क्षेत्र में बेहतरीन काम हुए हैं । 
            इसके साथ ही डॉ प्रियंका शुक्ला जी ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये जशपुर की माटी की महक से देश को परिचय के कराने का बीड़ा भी खुद ही उठाया ।

जशपुर के पहाड़ो झरनों नदी नालों के विभिन्न स्वरूपों प्राकृतिक दृश्यों को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से दिखा कर एक ऐसी पहचान बनाने की कोशिश की है जिसके लिए जशपुर उनका ऋणी रहेगा । 

यह भी आसान नहीं है कि आप कलेक्टर रहते हुए जिनके पास काम की अधिकता होती है ऐसे में समय निकाल कर आप पर्यटकों को जशपुर आमंत्रित करें और जशपुर को नई पहचान दिलाएं।

फ़ोटो साभार:- कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला 

डॉ प्रियंका शुक्ला कलेक्टर के  कार्यकाल  

(08-4-2016 से 08-4-2018) में हुए काम एक नज़र.....

                        स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि सहित सिंचाई, बिजली सहित अन्य सेक्टर में तेजी से हुआ काम, प्रदेश में बढ़ा जिले का मान वनांचल जिला जशपुर विकास के मामले में अब गति पकड़ने लगा है। वर्ष 2017 में जो 16 महत्वपूर्ण उम्मीदें थीं, जो पूरी हो गईं और लोगों को इसका लाभ सीधा-सीधा मिलने लगा है। जशपुर जिला बार्डर पर स्थित है व आवागमन के लिए सड़क मार्ग ही एक मात्र सुविधा है। यहां के जन प्रतिनिधियों व प्रशासनिक सक्रियता की वजह से सैकड़ों कार्य इस वर्ष पूरे कराए गए। साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सिंचाई की सुविधा, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ, कृषि के क्षेत्र में संपन्न-40 कार्यक्रम, स्किल डवलपमेंट शुरु कर जिले में जनहित के मुद्दों को तेजी से संपन्न कराया गया। यदि प्रशासन इसी संजीदगी से कार्य करता रहा, तो निश्चित ही जिले का आने वाला कल बेहद खुशनुमा होगा। लोग तेजी से आर्थिक विकास की ओर प्रगति करेंगे। वर्ष 2017 में प्रशासन ने जिन कार्यों को करने की प्रतिबद्धता जताई थी, उसे पूरा कर जनता के लिए समर्पित कर दिया है। जिसका लाभ अब लोगों को मिल रहा है।

शिक्षा की उपलब्धियां

              टॉप-10 में 5 विद्यार्थी :-शिक्षा के क्षेत्र में 2017 विद्यार्थियों के लिए काफी उपलब्धियों भरा रहा। जशपुर जिला का कार्यभार संभालते ही कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने यहां की शिक्षा व्यवस्था को देखते हुए ड्रीम-30 कार्यक्रम की शुरुआत की। जिले के दुर्गम अंचल के 30 बच्चों को चयनित करके सुपर-30 कार्यक्रम प्रारंभ कर शिक्षा के  क्षेत्र में नई इबारत रखी। पहली बार सरकारी स्कूल के 5 बच्चों ने टॉप-10 में अपना नाम दर्ज कराया। जिसमें से विशेष पिछड़ी जनजाति का एक पहाड़ी कोरवा छात्र भी शामिल है।  वहीं जिले का रिजल्ट करीब 78 प्रतिशत हो गया।


संकल्प की शिक्षा ने जापान पहुंचाया

                   ड्रीम 30 नामक कोचिंग प्रारम्भ की जिसका पोषक खनिज न्यास मद रहा इस कोचिंग में पढ़कर जिले के मेरिट सूची में अपना स्थान बनाया । सरकार ने  जिले के तीन होनहार बच्चों को जापान जाने और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर प्रदान किया है  ।
                   छत्तीगसढ़ बोर्ड की कक्षा 10वीं की मेरिट सूची में शामिल शासकीय विद्यालयों के प्रथम पांच विद्यार्थियों को जापान एशिया यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम इन साईंस के तहत जापान जाने का अवसर मिला है। इसमें अकेले जशपुर के तीन विद्यार्थी महेन्द्र कुमार बेहरा, कु. नीता सिंह और अनूप भगत शामिल हैं।


साक्षरता में राष्ट्रीय पुरस्कार 

        साक्षरता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य की वजह से जिले को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत होने का अवसर मिला। जिससे जशपुर जिले का यश साक्षरता के क्षेत्र में बढ़ गया है। 411 लोक शिक्षा केंद्रों में प्रेरकों ने पूरे उत्साह के साथ न केवल नवसाक्षरों को पढ़ाया ।इसके अलावा 20 अगस्त 2017 को आयोजित राष्ट्रव्यापी महापरीक्षा अभियान में 40000 से अधिक परीक्षा में शामिल हुए। जिले में साक्षरता का प्रतिशत 78 है। जिसमें 68 प्रतिशत महिला एवं 81 प्रतिशत पुरुष साक्षर हुए।

यशस्वी जशपुर

                     यशस्वी जशपुर के माध्यम से संकल्प कोचिंग संस्थान में 100 बच्चों को विशेष कोचिंग  देकर आईआईटी, एनआईटी के लिए तैयारी कराया गया। छत्तीसगढ़ में 54 बच्चे सलेक्टर हुए, जिसमें से 21 बच्चे जशपुर के थे। इस साल 11 बच्चों ने राज्य के मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए पात्रता हासिल किया।
बेटी जिंदाबाद- 

                 बेटी जिंदाबाद बेकरी कांसाबेल के लड़कियों को महिला सशक्तिकरण की दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिला यह जिले के लिये सौभाग्य का विषय है।बेटी जिंदाबाद कार्यक्रम के माध्यम से बेटियों के हितों का कार्य जिले में कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला के मार्गदर्शन में प्रारंभ किया गया। 

मानव तस्करी से शिकार हुई बच्चियों को सिलाई-बुनाई, बेकरी, उत्पादन का प्रशिक्षण देकर उन्हे स्वालंबी बनाया गया। कांसाबेल में 20 युवतियों को रेस्क्यू कर लाया गया था, उन्हे विज्ञान आश्रम पुणे में दो माह का बेकरी निर्माण प्रशिक्षण दिया गया। 
इन्हे स्वावलंबी बनाने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से 5 लाख एवं छग महिला कोष ऋण योजना के तहत 1 लाख की वित्तीय सहायता एवं ग्राम पंचायत कांसाबेल द्वारा समूह को दुकान खोलने के लिए आउटलेट उपलब्ध कराया गया। जिससे युवतियां प्रति माह औसतन 45 हजार रुपए कमा रही हैं एवं 8 हजार रुपए का किश्त भी चुका रही हैं।

कुपोषण-

                 कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए एक और दुलार भरा कार्यक्रम चलाकर एवं उनके स्वाथ्य एवं देखभाल के प्रति उनके माताओं को जागृत कर कुपोषण दर को कम करने का लक्ष्य लेकर चला गया।  
               पिछले वर्ष 25 हजार 155 बच्चे कुपोषित थे, जो इस वर्ष 19 हजार 906 हो गए हैं। अर्थात कुपोषण की दर में 05 प्रतिशत की कमी आई है। इनकी लगातार सुरक्षा और देखभाल की जा रही है।

स्वास्थ्य- 

                  स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य हुए। पहली बार जिला अस्पताल ने प्रदेश के सभी जिलों को पछाड़ते हुए कायाकल्प योजना के तहत प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया। जिसमें 50 लाख रुपए का पुरस्कार भी मिला। वहीं पहली बार जिले के तीन पीएचसी को भी इस साल पुरस्कार प्राप्त हुए। वहीं दुर्घटनाओं में घायल व आपातकाली मरीजों के लिए जिला अस्पताल में ही 6 बिस्तरों का नया कैजुअल्टी वार्ड बनाकर उसे शुरु कर दिया गया।शिशु वार्ड  भी करोड़ों की लागत से तैयार किया गया है जो जिले के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

सेना में चयन:

                  पहली बार जिले में 20 युवाओं का हुआ सेना में चयन- इस साल सेना भर्ती में शामिल होने वाले बेरोजगारों के लिए प्रशासन ने विशेष प्रशिक्षण कैंप का आयोजन किया था। जिसमें सीआरपीएफ के जवानों के माध्यम से सौ अभ्यर्थियों को शारीरिक प्रशिक्षण दिया गया था। साथ ही उन्हे कोचिंग दी गई थी। जिसका परिणाम यह हुआ कि पहली बार 8 युवाओं का चयन वायु सेना व 13 युवाओं का चयन थल सेना के लिए हुआ।

कृषि क्षेत्र में उपलब्धि:

                           कृषि के क्षेत्र में भी किसानों को भी विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देकर संपन्न-40 कार्यक्रम के माध्यम से 40 गांवों को संपन्न बनाने के उद्देश्य से यहां के किसानों को उन्नत खेती का प्रशिक्षण देकर उन्हे तकनीकी ज्ञान दिया गया और इन 40 गांवों का सर्वे कराकर किसानों के बच्चों को रोजगार से जोड़ा गया। इसमें सभी योजनाओं को लागू कर किसानों को लाभान्वित कराया गया। जिससे किसानों की आय तीन गुना पढ़ गई।

सौर सुजला से कृषि समृद्धि

             सौर सुजला के तहत के तहत 938 सोलर पंप लगाकर किसानों को सिंचाई का लाभ दिया जा रहा है। जिससे किसान गेहूं व साग-सब्जी की खेती आसानी से कर रहे हैं। इससे बिना बिजली वाले गांवों में पानी आसानी से मिल रही है अौर किसानों के खेतों में हरियाली छा रही है। किसान इससे आत्मनिर्भर हो रहे हैं 
 विद्युतीकरण:

                    दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र में बसे गांवों का अंधेरा क्रेडा के प्रयास से छंट रहा है क्रेडा द्वारा स्थापित सोलर प्लांट से अब ये गांव की सड़कें और घर जगमगाने लगे हैं। जिले के 65 से अधिक अविद्युतीकृत गांवों में सोलर प्लांट स्थापित करके वहां रोड लाइट और घरों में विद्युत कनेक्शन कर दो-दो सीएफएल बल्व दिया गया। क्रेडा ने सोलर प्लांट के जरिए 6617 से अधिक घरों में लाइट की व्यवस्था की गई है।


स्किल डेवलोपमेन्ट:

                       जिला प्रशासन ने स्किल डवलपमेंट के माध्यम से 528 प्रेरकों के द्वारा गांव-गांव में सर्वे कर 16 हजार 890 युवक-युवतियों को चयनित कर उन्हे स्किल के  विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के उपरांत 13 हजार 191 युवक-युवतियों को प्लेसमेंट के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया गया।

दिव्यांगों के लिए प्रशिक्षण:

             17 458 दिव्यांगों को प्रशिक्षित कर रोजगार से
जोड़ा गया  जिले में ऐसे दिव्यांग जो अपनी दिव्यांगता की वजह से समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पा रहे थे। ऐसे लोगों को जिले भर से छांटकर लाया गया। उन्हे विभिन्न उपक्रमों में रोजगार से जोड़ने हेतु ट्रेंड किया गया, लोन उपलब्ध किया गया। जिससे कई दिव्यांग अब खुद का रोजगार कर माह में हजारों रुपए का काम कर रहे हैं। ये युवक अब एलईडी बल्ब सहित स्वयं का रोजगार स्थापित कर निर्माण कार्यों में लगकर अपना जीवन संवार रहे हैं।

दिव्यांगों को रोजगार:

             जशपुर जिले में 458 दिव्यांगों को प्रशिक्षित कर  रोजगार से जोड़ा गया है। जिले में ऐसे दिव्यांग जो अपनी दिव्यांगता की वजह से समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पा रहे थे। ऐसे लोगों को जिले भर से छांटकर लाया गया। उन्हे विभिन्न उपक्रमों में रोजगार से जोड़ने हेतु ट्रेंड किया गया, लोन उपलब्ध किया गया। जिससे कई दिव्यांग अब खुद का रोजगार कर माह में हजारों रुपए का काम कर रहे हैं। ये युवक अब एलईडी बल्ब सहित स्वयं का रोजगार स्थापित कर निर्माण कार्यों में लगकर अपना जीवन संवार रहे हैं। यह एकउपलब्धि है
ऐसा कौन सा क्षेत्र बचा है जिसमें डॉ कलेक्टर प्रियंका शुक्ला जी ने अपना वर्चस्व कायम नहीं रखा है इनके कुशल मार्गदर्शन में सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य हुआ है ।किसान और मजदूर का बेटा आईआईटी में पढ़ रहा है यह उपलब्धि नहीं तो और क्या है ।मानव तस्करी से रेस्क्यू कर लाई गई बच्चियां बेकरी निर्माण की सार्थक दिशा देकर आत्म निर्भर बनाया ,हुनरमन्दों के हुनर की पहचान कर उन्हें इस काबिल बनाया।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 

                प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत जशपुर जिले ने वर्ष 2016-17 में 50 हजार के भौतिक लक्ष्य के विरुद्ध 55 हजार गरीब परिवारों की महिलाओं को रसोई गैस कनेक्शन देकर एक बड़ा कीर्तिमान बनाया है। उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 में इस जिले में 60 हजार महिलाओं को रसोई गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य है। जबकि अब तक 38 हजार कनेक्शन दिए जा चुके हैं। 


ई जनदर्शन कार्यक्रम 

ई-जनदर्शन कार्यक्रम में मंगलवार को कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने जिले के सभी विकासखंडों से सीजी स्वॉन के माध्यम से जुड़कर लोगों की समस्याओं को सुनकर तथा उनके निराकरण के लिए संबंधित अधिकारियों को तत्काल निर्देश दिए जा रहे है।ई जनदर्शन में जिले के ग्रामीणों को अब अपनी समस्याओं के लिए जिला मुख्यालय नहीं आना पड़ता है । जशपुर की इस योजना को पूरे राज्य में लागू किया गया है। 3 जनवरी को ई-जनदर्शन के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी स्वयं जशपुर के लोगों की समस्या सुनी  और जिसके बाद मुख्यमंत्री जी द्वारा अवश्यक निर्देश दिए।

"मैं आगाज़ भी हूँ , 
आवाज भी हूँ , 
होठों का साज़ व परवाज़ भी हूँ 
जज़्बाती हूँ ,
इसलिए मोहब्बत का राग भी हूँ !"

इन्हीं शब्दों के साथ जशपुर की तरफ से कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला जी को पुनः शुभकामनाएं । 

सरीन राज
जशपुर छत्तीसगढ़
मोबाइल 07987721739
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