Thursday, 1 May 2025

जशपुर की मई: गर्मी से ठिठुरन तक का सफर



मई का महीना था। सूरज अपनी पूरी ताक़त से आसमान पर चमक रहा था। जशपुर की गलियों में धूप की तल्ख़ी कुछ ऐसी थी कि लगता था जैसे खुद अग्निदेव धरती पर उतर आए हों। गर्मी इतनी कि छांव भी गर्म हो चली थी। ऐसे में मैंने ठान लिया — अब तो एक नया कूलर खरीद ही लिया जाए। पुराना कूलर भी धूल झाड़कर, पंखे कसकर, फिर से सेवा के लिए तैयार किया गया।

इधर मेरी धर्मपत्नी ने भी मौसम को देखकर रसोई की दिशा मोड़ी। बोलीं, “इतनी गर्मी है, चलो बरी (बड़ी) बना लेते हैं।” सूरज की आग में बरी सुखाने की योजना बनी और आंगन में पूरी तैयारी के साथ बरी बिछा दी गई।

पर लगता है, ऊपरवाले को हमारी यह गर्मी से लड़ने की तैयारी कुछ ज्यादा ही पसंद आ गई। मौसम ने एकाएक करवट ली। पहले तेज़ हवाएं चलीं, फिर बादलों की गड़गड़ाहट और देखते ही देखते बारिश ने दस्तक दे दी। वो भी मामूली नहीं, ज़ोरदार। तेज़ बारिश के साथ आंधी-तूफान ऐसा कि पूरा आसमान जशपुर को ठंडक का तोहफा देने उतरा हो। तापमान, जो अभी तक 43 डिग्री पर झुलसा रहा था, सीधा 26 डिग्री पर आ गिरा।

अब हालत यह हो गई कि जो पंखे और कूलर कल तक अनिवार्य थे, आज स्विच ऑफ होकर चुपचाप कोनों में खड़े हैं। घर में फिर से कंबल, रजाई, चादर निकल आए। एक पल के लिए तो यकीन ही नहीं हुआ कि मई में जशपुर में यह ठिठुरन कैसी।

कभी धूप में पसीना, तो कभी बारिश में सिहरन — यह जशपुर का मौसम है जनाब। जहां गर्मी से लड़ने की तैयारी पूरी होते ही मौसम ठंडक की चादर ओढ़ा देता है।

वाह रे जशपुर के मौसम! तू भी न... गर्मी में 'ठंडा-ठंडा कूल-कूल' का ऐसा एहसास दे गया कि एसी-कूलर सब बेमानी लगने लगे।