आखिर बहा क्या है
बारिश का मौसम है ऊपर से सावन रिमझिम फुहारें ऐसे मौसम में जाने क्या बह जाय ? कुछ लोगों के आँखों का पानी कुछ लोगों का ज़मीर
बह जाय तो आश्चर्य क्या ?
बहा कुछ भी नहीं है अफवाह ये की समंदर बह गया नजरें बंद हो गई कैमरे ने देख लिया जुबान भी बह गई नफा किसका और नुकसान किसका अपने अपने हिसाब से तय कर रहे हैं कि किसका जमीर कितना बहा कितना सच बह रहा है कितना झूठ बह रहा है
तुम फिर जाओ देखो वास्तव में बहा क्या है कहीँ सम्बन्ध तो नहीँ बह रहे कहीँ भावनाएँ तो नहीँ बह रहे हैं कहीँ दिल के अरमान तो नहीँ बह रहे हैं ।
जरा गौर से देखो टूटा क्या है जो दिखता है वो बताओ मुझे कि आखिर टूटा क्या है बहा क्या है मेरा तो बस दिल ही टूटा है जो आपके कैमरे में शायद ही कैद हो ? पर टूटा तो है वो जुड़ेगा पर जो बह गया है ना वो वापस नहीँ आएगा तुम लाख कोशिश कर लो कभी लौटने वाला नहीँ । जाने इस बारिश में कितनों का क्या क्या बहा मेरा भी बह गया अब सत्य है कि जाल कौन बिछाएगा कौन गोताखोर छलाँग लगाएगा जिसको ये पता हो कि मेरा बहा क्या है और पता भी नहीं कैसे चलेगा क्योंकि तुम्हें खुद की नजर से दिखता ही नहीँ तुम तो उसकी नजर से देखते हो जो अंधा है । सावन के अंधे को वैसे भी हरा हरा ही दिखता है । गौर से देखो तुमको ये देखना भी जरूरी है कि सावन में आखिर दिखता कैसे है ।
अच्छा मिलते हैं फिर सावन के बाद.............
कृपया अन्यथा ना लें
आपका अपना
एक सावन का अंधा